Last Updated: 18-02-2010
पृष्ठभूमि
अन्य विकासशील देशों की तरह भारत में भी पारिवारिक बजट का अधिकाँश भाग खाद्य पदार्थों पर व्यय होता है| प्रत्येक उपभोक्ता कम से कम मूल्य पर अधिक से अधिक वस्तु प्राप्त करना चाहता है| उपभोक्ताओं का यह स्वभाव, साथ ही व्यापारियों और उत्पादकों की अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करने की इच्छा वृत्ति, दोनों मिलकर एक ऐसा दुष्चक्र रचते हैं, जिससे वस्तुओं की गुणवत्ता में ह्रास होता जाता है| यह प्रक्रिया वस्तुओं में अन्य सस्ती वस्तुओं की मिलावट करके अथवा आवश्यक महंगे तत्वों की मात्रा में कमी या निकलकर करते हैं| इसे मिलावट करना कहते हैं|
हाल ही के वर्षों में स्वैच्छिक संगठनों के वैज्ञानिक सक्रियकों ने खाद्य पदार्थों में मिलावट की जाँच करने की विधियाँ प्रर्दशित करके जनता में जागृति की पहल की है|
मेरा यह वेबपेज भी सार्वजनिक जागरूकता के आंदोलनों को एक गति देने का प्रयत्न करेगा और इसलिए मैंने खाद्य अपमिश्रण जाँच-मार्गदर्शिका यहाँ हिंदी में प्रस्तुत करने की कोशिश की है | यह मार्ग दर्शिका "साइंस कम्युनिकेटर्स फोरम एवं एक्शन रिसर्च इंस्टिट्यूट" के वैज्ञानिक कार्यकर्ताओं के अनुभवों का परिणाम है | इन्होंने नियमित रूप से मिलावट की जाँच हेतु शिविर लगाए हैं और जन जागृति करके उपभोक्ताओं को संगठित करने के लिए अभियान संचालित किये हैं |
आभार, उन व्यक्तियों के लिए जो इस निमित्त आगे आये एवं उन खाद्य - सामग्री प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों के लिए जिन्होंने संबंधित तकनीकी जानकारी इस अभियान के लिए उपलब्ध कराई और साथ ही साथ विज्ञान प्रसार के डिजीटल पुस्तकालय के लिए |